– COVID-19 के दौरान शिक्षक सह अन्य कर्मियों के वेतन कटौती से 4.25 करोड़ का मुनाफा हजम करने के फ़िराक में प्रबंधन – संजय पाटिल
नागपुर : नागपुर जिले के काटोल रोड पर SB JAIN INSTITUTE OF TECHNOLOGY,MANAGEMENT & RESEARCH के विवादास्पद शिक्षण संस्था हैं,जिसमें पिछले वर्ष खुद के महाविद्यालय के शिक्षक-गैर शिक्षक कर्मियों को COVID-19 का हवाला देकर कुल 7 माह के वेतन में भारी कटौती कर उन्हें आर्थिक नुकसान पहुँचाने का काम किया,जिससे प्रबंधन को अंदाजन 4.25 करोड़ रूपए का मुनाफा हुआ,जिसे हजम करने के फ़िराक में हैं ,यह आरोप रिपब्लिकन आघाड़ी ने लगाया।
इस सन्दर्भ में इन्होंने समाज कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त बाबासाहेब देशमुख को निवेदन देकर उक्त मामले की निष्पक्ष जाँच कर सभी कर्मियों को बकाया राशि अविलंब दिलवाने की मांग की ,तब तक महाविद्यालय के विद्यार्थियों के छात्रवृत्ति के अर्जी की SCRUTINY करना बंद रखें व MAHA DBT द्वारा रकम अदा करने पर रोक लगाई जाये,यह भी मांग प्रमुखता से की.
उक्त मामले को लेकर रिपब्लिकन आघाड़ी के निमंत्रक संजय पाटिल ने कल 8 APRIL 2020 को समाज कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त बाबासाहेब देशमुख व विभागीय समाज कल्याण विभाग के उपायुक्त सिद्धार्थ गायकवाड से मुलाकात की.जल्द ही वे इस सम्बन्ध में DIRECTOR TECHNICAL और NAGPUR UNIVERSITY के कुलगुरु से मुलाकात कर SB JAIN INSTITUTE OF TECHNOLOGY,MANAGEMENT & RESEARCH में जारी कर्मियों संग आर्थिक धोखाधड़ी की जानकारी देकर उसकी मान्यता रद्द करने की गुहार लगाएंगे।
पाटिल के अनुसार SB JAIN INSTITUTE OF TECHNOLOGY,MANAGEMENT & RESEARCH के कर्मियों की उन्हें शिकायत मिली थी,कि संस्था व महाविद्यालय प्रबंधन अप्रैल 2020 से अक्टूबर 2020 तक कुल 7 माह में कोविड-19 का हवाला देकर मासिक वेतनों में भारी कटौती की.इस चक्कर में अनेक वर्षों से सेवाएं दे रहे शिक्षक-गैर शिक्षक कर्मी आदि को आर्थिक अड़चनों से सामना करना पड़ रहा हैं.
कार्यरत कर्मियों को निम्न प्रकार से वेतन भुगतान किया गया
अप्रैल 2020 – 25%
मई 2020 – 25%
जून 2020 – 25%
जुलाई 2020 – 25%
अगस्त 2020 – 50%
सितंबर 2020 – 50%
अक्टूबर 2020 – 75%
पाटिल के अनुसार प्रबंधन ने उक्त कटौती करते वक़्त सभी शिक्षक सह कर्मियों से साफ साफ कह दिया था कि दी जा रही वेतन में ‘जिसे रहना है वे रहे,अन्यथा निकल जाए’. कार्यरत शिक्षकों ने कोविड-19 के काल में घर से या फिर महाविद्यालय से ऑनलाइन शिक्षण देकर विद्यार्थियों का नुकसान होने से बचाया।उसी तरह गैर शिक्षक कर्मियों ने भी प्रबंधन के निर्देशानुसार दी गई जिम्मेदारियों का निर्वाह किया।उक्त कालावधि में कर्मियों के वेतन कटौती से प्रबंधन को सवा 4 करोड़ का मुनाफा हुआ,जिसे हजम करने के फ़िराक में सक्रिय हैं.
जबकि केंद्र या राज्य सरकार ने COVID-19 काल में वेतन कटौती के लिए कोई आदेश नहीं दिए थे,न ही शासन ने किसी भी संस्था को TUTION FEE में कटौती करने के आदेश दिए थे.
महाराष्ट्र शासन द्वारा छात्रवृत्ति की रकम में भी कटौती नहीं की गई,इस महाविद्यालय में 90 से 95% विद्यार्थी छात्रवृत्ति प्राप्त कर अध्ययन कर रहे,जिसका केंद्र व राज्य शासन द्वारा महाविद्यालयों को पूरा भुगतान किया जा रहा.विद्यार्थियों द्वारा भी बकाया FEE महाविद्यालय को मिल रहा या मिल गया.
पाटिल ने निवेदन द्वारा सवाल किया कि फिर किस आधार पर उक्त शिक्षक-गैर शिक्षक कर्मियों का वेतन इतनी भारी मात्रा में कटौती की गई.इसका जिन शिक्षकों सह कर्मियों ने विरोध किया उन्हें नौकरी से बेदखल करने की धमकी प्रबंधन द्वारा दी गई.
पाटिल ने समाज कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त बाबासाहेब देशमुख से मांग की कि उक्त मामले की निष्पक्ष जाँच की जाये और सभी शिक्षकों सह अन्य कर्मियों को बकाया दिलवाने हेतु ठोस कदम उठाएं। तब तक महाविद्यालय के विद्यार्थियों के छात्रवृत्ति के अर्जी की SCRUTINY करना बंद रखें व MAHA DBT द्वारा रकम अदा करने पर रोक लगाई जाये।
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