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गोंदिया: कलेक्टर ने फैसला सुनाते , नगरसेवक दिलीप गोपलानी को पद से किया बर्खास्त

गोंदिया: कलेक्टर ने फैसला सुनाते , नगरसेवक दिलीप गोपलानी को पद से किया बर्खास्त
Written by Expert News

शासकीय जमीन पर अतिक्रमण , बिना परमिशन इमारत का अवैध बांधकाम

गोंदिया । गोंदिया कलेक्टर ने आदेश जारी करते हुए प्रभाग क्रमांक 15 (ब- ओपन कैटेगरी ) से वर्ष 2016-17 में निर्वाचित होकर नगर परिषद सदस्य एवं जल प्रदाय विभाग के सभापति रहे पार्षद दिलीप गोपलानी इन्हें गोंदिया नगर परिषद सदस्य पद से अयोग्य घोषित किया है।
उल्लेखनीय है कि दिलीप गोपलानी के खिलाफ महाराष्ट्र नगर परिषद ,नगर पंचायत, औद्योगिक अधिनियम 1965 के तहत गैर अनुपालन का मामला चल रहा था ।

प्रार्थी एवं अनावेदक के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद गोंदिया कलेक्टर दीपक कुमार मीणा ने अपना फैसला सुनाते हुए नगरसेवक दिलीप गोपलानी को उनके पद से बर्खास्त कर दिया है वहीं पार्षद सदस्यता रद्द होने के बाद दिलीप गोपलानी इस फैसले को एक राजनीतिक दबाव में लिया गया फैसला बताते हुए कलेक्टर के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देने का मानस बना रहे हैं।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र नगर निगम अधिनियम 1949 की धारा 10 (1-डी ) के तहत पार्षद के रूप में चुने जाने से पहले पार्षद , उसकी पत्नी या उनके आश्रित द्वारा किया गया अवैध अतिक्रमण / अनाधिकृत निर्माण गैर अनुपालन के दायरे में आता है इसी के चलते दिलीप गोपलानी को गोंदिया नगर परिषद सदस्य पद से अयोग्य घोषित किया गया है।

क्या है पूरा मामला ?

जनप्रतिनिधि होते हुए शासकीय जमीन पर कब्जा करना तथा उस शासकीय भूमि पर पक्का इमारत बांधकाम करना , दोनों आदर्श जनप्रतिनिधि नैतिक आचरण व दाखिल हलफनामे (शपथ पत्र ) के विरुद्ध है इसलिए नगरपालिका अधिनियम 1965 के नियम को भंग करने के तहत संबंधित प्रभाग क्रमांक 15 के नगरसेवक दिलीप गोपलानी के खिलाफ कार्रवाई की जाए ऐसी शिकायत का प्रस्ताव याचिकाकर्ता महेश श्यामकुमार वाधवानी की ओर से दाखिल करते हुए उनके वकील दुर्गा डोये ने दलील रखते कहा- प्रभाग क्रमांक 15 के नगरसेवक दिलीप गोपलानी ने नजूल विभाग के रोड की जगह का अतिक्रमण करते हुए एक नहीं अपितु 2 घरों का विस्तार किया है इतना ही नहीं दोनों मकानों के बांधकाम से संबंधित कोई भी परवानगी गोंदिया नगर परिषद के रचनाकार विभाग से नहीं ली गई है।

सरकारी रिकॉर्ड ने खोली परतें

नजूल भूमि रिकॉर्ड मैं बताया गया कि यह स्थान मानचित्र (नक्शे ) के अनुसार सड़क का है और नगर परिषद टैक्स विभाग के अभिलेख में दर्ज क्षेत्रफल से ज्यादा क्षेत्र पर कब्जा कर पक्का बांधकाम करते हुए इमारत का निर्माण किया गया है जो कि नियमों के विरुद्ध है।
साथ ही पश्चिम भाग रोड का स्थान मानचित्र अनुसार सड़क का है और जेठानंद गोपलानी ने क्षेत्र में 12.00 वर्ग मीटर का निर्माण अतिक्रमण में देखा जाता है

सरकारी अभिलेखों के अनुमंडल अधिकारी द्वारा दायर रिपोर्ट के अनुसार भूमि का स्वयं सर्वेक्षण और समीक्षा 18 दिसंबर 2018 को आयोजित की गई थी , जांच के दौरान नजूल शीट नंबर 25 पर दिलीप तुलसीदास गोपलानी द्वारा प्लाट नंबर 1/ 36 पर सर्वे के समय दी गई जानकारी के आधार पर उनके नाम सर्वे रिपोर्ट में दर्ज किए गए थे साथ ही जेठानंद तुलसीदास गोपलानी का नाम प्लाट नंबर 1/ 37 पर दर्ज किया गया था ।

उप अधीक्षक भूमि अभिलेख कार्यालय ने प्लाट नंबर 1/ 36 का क्षेत्रफल 111.5 वर्ग मीटर ( 1200 वर्ग फिट ) बताया जबकि मौके पर 80 वर्ग फिट पर पक्के निर्माण का अतिक्रमण पाया गया ।

राशन कार्ड का अवलोकन करते हुए राशन कार्ड जेठानंद गोपलानी के नाम हैं जैसा कि उसमें दिलीप गोपलानी का नाम भी दर्ज है यह देखा गया कि दोनों साथ रह रहे हैं।

नगर परिषद नगर रचनाकार विभाग के निर्माण अनुमति संबंधित अभिलेखों रिकॉर्ड की तलाशी से पता चला कि दिलीप गोपलानी ने बिना किसी प्रशासकीय स्वीकृति के प्लाट नंबर 1/36, प्लाट नंबर 1/37 पर निर्माण कराया है और दिलीप गोपलानी इस जगह के मालिक हैं।

ऑनर हक की जांच पड़ताल के लिए 9 के नाम , जारी हुए थे नोटिस

किसी का नाम आखिव पत्रिका में दर्ज , तो किसी के नाम मकान की खरीदी बिक्री के नोटरी दस्तावेज , तो किसी का नाम नजूल सर्वे लिस्ट में और सर्वे फॉर्म में दर्ज ?
आखिर यह फर्जीवाड़ा है क्या ?
किसका है यह भूखंड ? कौन करवा रहा है पिछले डेढ़ वर्ष से बिना परमिशन अवैध बांधकाम ?
इन्हीं सारे तथ्यों की छानबीन हेतु न.प मुख्याधिकारी करण चौहान ने 20 अगस्त 2020 को 9 लोगों के नाम नोटिस जारी करते हुए उन्हें नजूल भूमि शीट क्रमांक 25 , सिंधी कॉलोनी क्षेत्र के दशहरा मैदान इलाके के शिव मंदिर निकट स्थित 1200- 1200 फीट के दो प्लाट (भूखंडों) के संदर्भ में 3 दिनों के भीतर मालिकाना हक के दस्तावेज सादर करने को कहा था ।
उक्त नोटिस का जवाब देते दिलीप गोपलानी ने भूखंड खुद का होने से ही इंकार करते इसे पुश्तैनी संपत्ति बताया , जबकि नजूल रिकॉर्ड में एक प्लाट पर उनके नाम का उल्लेख पाया गया लिहाजा न.प मुख्य अधिकारी ने संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी के समक्ष कार्रवाई का प्रस्ताव बनाकर प्रेषित किया , जिस पर अब मोहर लगी है।

रवि आर्य



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