नागपुर : अपने घर से बाहर नहीं निकले, आवश्यक हो तो निकले और मास्क जरूर पहनें यह उदबोधन प्रज्ञायोगी दिगंबर जैनाचार्य गुप्तिनंदीजी गुरुदेव ने विश्व शांति अमृत महोत्सव के अंतर्गत श्री. धर्मराजश्री तपोभूमि दिगंबर जैन ट्रस्ट और धर्मतीर्थ विकास समिति द्वारा आयोजित ऑनलाइन धर्मसभा में दिया.
गुरूदेव ने कहा पुण्य दो प्रकार के होते हैं एक पापानुबंधि पुण्य दूसरा पुण्यानुबंधि पुण्य हैं. पाप दो प्रकार के होते हैं एक पापानुबंधि पाप दूसरा पुण्यानुबंधि पाप हैं. आज पाप का उदय हैं, पाप कारण महामारी हैं और विकराल रुप ले रही हैं. सौभाग्यसागरजी सौभाग्यवान हैं. आपकी सुरक्षा आपके लिए महत्वपूर्ण हैं. अपने घर से बाहर नहीं निकले, आवश्यक काम हो तो निकले और मास्क जरूर पहने यह महामारी रोकने का रामबाण उपाय हैं. गर्म पानी रोज पिये, 5-5 मिनट का भांप लेते रहें. पंचम काल रिद्धि मंत्र हैं इसका जाप करते रहे. अनेक अनेक लोग सावधानी बरत रहे हैं. नींबू का रस, आंवला खाते रहे. भांप लेने से कोरोना का ग्राफ कम हो जाएगा. गर्म पानी पिये, हल्दी खाए. फ्रिज की कोई भी चीज नहीं खाये, ठंडा पानी नहीं पिये.
पुण्य से पुण्य बढ़ाये- आचार्यश्री सौभाग्यसागरजी
आचार्यश्री सौभाग्यसागरजी गुरुदेव ने धर्मसभा में कहा उत्सव, महोत्सव एक दिन नहीं हर रोज होना चाहिए. उत्सव महोत्सव प्रति व्यक्ति को प्रतिदिन, प्रति समय मनाना चाहिए. भगवान महावीर का जन्म कल्याणक हर रोज मनाने का प्रयास करना चाहिए. हम जीवन में लगातार शांतिपूर्ण कार्य कर रहे हैं. आज वर्तमान में कोरोना महामारी ने व्यापक रूप लिया हैं, कोरोना महामारी ना जात देखकर, ना धर्म देखकर आती, ना अमीर, ना गरीब देखकर आती, ना पंथ देखकर आती हैं. कब जाएगी कुछ बता नहीं सकते पर इस बीमारी से बचने का प्रयास करना चाहिए. आपके पास गुरुओं का दिया हुआ कोई भी साहित्य हो उसको छूकर अपने मस्तिष्क को लगा ले उससे आनेवाली बीमारी समाप्त हो जाएगी, बीमारी आने से पहले हम सावधान हो जाए. आप पूजा के वस्त्र पहनने के बाद जैसी दूरी बना के रखते हैं वैसे ही एक दूसरें से दूरी बनाकर रहे. उनको जीवन में कोई तकलीफ नहीं आएगी.
अमृत मिलना दुर्लभ हो सकता हैं लेकिन पंचामृत अभिषेक करना और देखना सुलभ हो सकता हैं. अपने जीवन में स्त्री हो या पुरुष अपने जीवन में पंचामृत अभिषेक कर कर के जीवन का कल्याण करना चाहिए. जीवन अमृत कब मिलेगा पता नहीं पर जीवन में पंचामृत अभिषेक कर लाभ लेना चाहिए. जो पंचामृत अभिषेक करते उनके जीवन में कोई समस्या नहीं आती. आज जब भी बाजार में जाये तब आपके मन में संकल्प ले आप के नगर में कोई मुनि महाराज, आर्यिका माताजी, क्षुल्लकजी आये हुए हैं उनके आहार के लिए दो फल लेकर अवश्य जाना चाहिए इससे पता चलेगा आपके अंदर मानवता हैं. वर्तमान काल में कोरोनाने सबको डरा दिया हैं. सारा विश्व सुखी हो, निरोगी हो, निरामय हो. प्रत्येक व्यक्ति रोगी की सेवा करते रहे.
हर दिन जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक करे. रोज भक्तामर स्तोत्र का 45 नं. पाठ पढ़े. हमारे जैन धर्म को चाहनेवाले संतगण का स्वास्थ्य अच्छा रहे, स्वस्थ रहे, जो संत आपके संपर्क में हैं उनके नाम का उच्चारण करें. पहले लोग मंदिर में जाकर अभिषेक नहीं देखते थे लेकिन संचार माध्यम से घर घर में अभिषेक देख रहे हैं. आचार्यश्री गुप्तिनंदीजी ने हर व्यक्ति को धर्म ध्यान में लगाया. संत का काम होता हैं उस व्यक्ति के प्रतिभा को सामने लाना. पापानुबंधी पुण्य ना करें, पुण्य से पुण्य बढ़ाए. अपने जीवन को पुण्यानुबंध से पुण्य की ओर लेकर चले. नर से नारायण बनने की राह पर चले. आप स्वस्थ हैं तो यह भावना रखे सारे व्यक्ति स्वस्थ रहें, निरोगी रहे. धर्मसभा का संचालन स्वरकोकिला गणिनी आर्यिका आस्थाश्री माताजी ने किया.
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