नागपुर टुडे भाग 14 – साईबर पुलिस स्टेशन
नागपुर टुडे : आज के इस तकनीक भरे दौर में दुनिया डिजिटली विकसित हो रही है और उतनी ही तेज गति से साइबर अपराध से जुड़ी दुनिया भी विकसित होते जा रही है । डिजिटल दुनिया से जुड़े अपराध पहले के मुकाबले आज कहीं ज्यादा बड़े स्वरूप में घटित होने लगे हैं. खास तौर से तब जब देश मे ऑनलाइन आर्थिक लेन-देन का चलन अत्यधिक बढ़ने लगा है । ऑनलाइन आर्थिक लेनदेन का चलन शिक्षा क्षेत्र से लेकर उद्योग और व्यापार जगत में भी बड़े पैमाने पर हो रहा है. अब जब ऑनलाइन पैसों का लेनदेन बढ़ा है तो इससे जुड़े अपराध भी काफी मात्रा में घटित होते दिखाई दे रहे है जो पुलिस के लिए काफी चिंता का विषय बना हुआ है । अब ऐसे अपराधों पर नकेल कसने के लिए नागपुर पुलिस ने एक अलग से “साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन” की स्थापना की है । यहां ऑनलाइन आर्थिक और दूसरे किस्म के अन्य मामलों से जुड़े ऑनलाइन अपराधों का डिटेक्शन और अपराधियों की धरपकड़ नागपुर पुलिस का यह साइबर क्राइम पुलिस थाना कर रहा है । इस पुलिस स्टेशन द्वारा न केवल शातिर और चाणाक्ष अपराधियो की धरपकड़ बल्कि शहर के नागरिकों के बीच साइबर अपराधों को लेकर समय-समय पर जागरुकता अभियान चलाकर उन्हें जागरूक भी किया जा रहा है. नागपुर साइबर पुलिस थाने की स्थापना 6 अगस्त 2020 को की गई थी ।
शहर में सिविल लाइन्स के प्रशासकीय इमारत क्रमांक 1 के चौथे मंजिल पर इसका ऑफिस है. जिसके इंचार्ज वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक डॉ. अशोक श्रावण बागुल (1989 बैच के पीएसआई) है । श्री. बागुल के बारे में अगर बात करे तो वे अबतक जहां-जहां भी तैनात रहे वहां उन्होंने अनेक पेचीदा मामलों की तह तक जाकर उनका पर्दाफाश कर अति उल्लेखनीय कार्य कर पुलिस विभाग का मान-सम्मान बढ़ाया है । फिलहाल डॉ. बागुल साइबर अपराधों के नोडल अधिकारी हैं. उनके मातहत इस कार्यालय में 10 पुलिस अधिकारियों समेत कुल 25 पुलिस कर्मचारी तैनात हैं। इस पुलिस थाने का दायरा नागपुर शहर पुलिस का समूचा इलाका है। ऑनलाइन जालसाजी का शिकार हुआ कोई भी पीड़ित शख्स नागपुर साइबर पुलिस थाने द्वारा अपने क्षेत्र के किसी भी पुलिस स्टेशन से संपर्क कर सकता है ।
नागपुर टुडे के साथ खास बातचीत में सीनियर पीआई बागुल कहते हैं की, आजकल शहर में साइबर अपराधों के मामले बहुत बढ़ गए हैं इसीलिए इसके प्रति जनता के बीच सतर्कता बढ़ाने के लिए जागरुकता लाना सबसे कारगर हथियार है. इस कड़ी में साइबर पुलिस की ओर से शहर में अब तक 125 के करीब वेबिनार लिए जा चुके हैं. जिससे नागरिकों में काफी जागरूकता बढ़ी है ।
इस सायबर पुलिस स्टेशन में ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड के मामले सबसे ज्यादा आते हैं. जिसमें ऑनलाइन ठगी करनेवाला शातिर अपराधी यूजर की जानकारी, पिनकोड, ओटीपी जैसी जानकारियों के दम पर उनसे धोखाधड़ी किए जाने के मामले सबसे ज्यादा आते हैं । इसी तरह ऑनलाइन सेक्टॉर्शन याने सेक्स संबंधी चीजों को लेकर किसी को ब्लैकमेलिंग करना या दूसरे अन्य अपराध करना भी इसमे शामिल है. इस तरह के अपराध में अपराधी पीड़ित को उसके आंतरिक आपत्तिजनक वीडियो या फोटोज़ को नेट में डालकर या तो पैसा मांगता है एकतरह से उगाही करने का षड्यंत्र रचता है साथ ही कभी-कभी मजबूरी का फायदा उठाकर लैंगिक शोषण भी करता है ।
इसके अलावा यहां आनेवाले मामलों में विशेषतः नौकरी या जॉब से जुड़े फ्रॉड, सोशल मीडिया, हमदर्दीवाले या सहानुभूति लेकर फ्रॉड करनेवाले, साइबर आतंकवाद, हैकिंग, डेटा चोरी, फिशिंग (बैंकिंग से जुड़े मामलों में अपराधी ईमेल भेजकर, फोनकॉल कर के या मैसेंजिंग के जरिए ठगी करता है), विशिंग (वॉइस और फिशिंग का मिला हुआ तरीका), स्मिशिंग ( एक फ्रॉडस्टर्स ऑनलाइन उपलब्ध डेटा के सहारे एक बार फोन कॉल, टेक्स्ट या वॉट्सअप मैसेज करके ग्राहको को बेवकूफ बनाने के लिए एक तरह से जालसाजी की विशेष ट्रिक का इस्तेमाल करता है बच्चों की पोर्न फिल्में, ऑनलाइन गैरकानूनी जुआ, अनैतिक अपराध, सॉफ्टनेयर पाइरेसी आदि आपराधिक मामले भी इनमें शामिल होते हैं।
जागरुकता ही सबसे बड़ा बचाव है – बागुल
पीआई बागुल आगे बताते हैं की, साइबर अपराध के अधिकांश मामले मानवीय गलितियों के कारण होते हैं. साइबर अपराधी सोशल इंजीनियरिंग के सहारे सबसे ज्यादा अपराध करते हैं. साइबर अपराधी मनोवैज्ञानिक तौर से पीड़ित को ऐसा बरगलाते हैं कि हड़बड़ी में वह अपनी मर्जी या बिना मर्जी के अपने निजी डेटाज़ उससे शेयर कर देते हैं जिसका बाद में बड़ी चालाकी से गलत ढंग से इस्तेमाल कर पीड़ित को प्रताड़ित किया जाता है. इसलिए ऐसे मामलों में फंसने से बचने के लिए सामाजिक जागरुकता ही सबसे बड़ा हथियार है ।
शहर की साइबर पुलिस ने साल भर में 1.90 करोड़ रुपए लौटाए और 32 लाख रुपए के मोबाइल बरामद किए ।
अबतक नागपुर साइबर पुलिस ने ऑनलाइन ठगी के शिकार पीड़ितों के करीब 1 करोड़ 90 लाख रुपए लौटाने में एक उल्लेखनीय मदद की है. साथ ही साल भर के भीतर करीब 115 बेशकीमती मोबाइल जिसकी कीमत तकरीबन 32 लाख है जिसे बरामद किया है। यहां एक बात याद दिला दे कि, नागपुर साइबर पुलिस ने ही नाइजेरिया की शातिर “साइब गैंग” का पर्दाफाश करने में एक बड़ी सफलता हासिल कर चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े करीब 30 गंभीर मामलों को दुनिया के सामने उजागर किया था । उससमय यह एक राष्ट्रीय खबर बन गई थी ।
आज शहर का सायबर पुलिस स्टेशन आएदिन नागरिकों को इन शातिर जालसाजों से बचाने की कोशिश में लगा है । श्री. बागुल ने शहर की जनता से आवाहन किया है कि, रोजमर्रा के बैंकिंग व्यवहार या किसी भी तरह का ऑनलाइन आर्थिक व्यवहार करते वक्त काफी सतर्क रहें अपनी गुप्त जानकारी किसी के साथ शेयर न करे और ऑनलाइन जालसाजी का शिकार होने पर घबराए नही तुरंत इसकी शिकायत दर्ज करे ताकि समय रहते अपराधी के गिरेबान तक पहुचा जा सके । श्री. बागुल ने अपना निजी मो.न. 9223964618 जनता के साथ साझा कर रखा है ताकि किसी भी सायबर पीड़ित को अगर कोई गुप्त जानकारी देनी हो तो वह बेखौफ होकर उन्हें फोन कर सकता है या उनके दफ्तर में आकर मिल सकता है । गुप्त जानकारी देनेवाले का नाम गुप्त रखा जाएगा ।
नागपुर शहर के नागरिकों को अपने एरिया के पुलिस स्टेशन के बारे में जानकारी हो, इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर ‘ नागपुर टुडे ‘ ने एक विशेष सीरीज शुरू की है, जिसका नाम – अपने पुलिस स्टेशन को जानिये ‘ है. इसमें पुलिस स्टेशन से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी आम जनता तक पहुंचाने का प्रयास किया गया. पुलिस स्टेशन की स्टोरी में आप अपने क्षेत्र के संबंधित पुलिस स्टेशनों के पुलिस इंस्पेक्टर, किसी भी आपात स्थिति के दौरान उनसे संपर्क करने के साधन, क्षेत्र में होनेवाली आगामी योजनाओ के बारे में जानकारी पहुंचाने की कोशिश ‘ नागपुर टुडे ‘ की ओर से की जा रही है.
– रविकांत कांबळे
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