कोरोना वायरस का इलाज कराने के लिए नगद जमा कराना होगा,माना पा अधिकारी मौन ?


रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाज़ारी जोरों पर ।

विश्व में कोरोना ने भारत का नाम पहले पायदान पर लाके रख दिया है वहीं दूसरी ओर देश में महाराष्ट्र अव्वल नंबर पर दर्शाया गया इसी के साथ नागपुर शहर भी पीछे नहीं हैं ज़िले में सरकारी आंकड़ों के अनुसार चार पाँच हज़ार मरीज़ कोरोना के चपेट में आ रहे हैं इन्हीं मामलों की शिकायतें थमने का नाम नहीं ले रहीं ।

मोहम्मद शाहिद शरीफ़ अशासकीय सदस्य जिला अधिकारी ग्राहक कल्याण परिषद इन्हें शिकायतें प्राप्त हुई हैं की निजी रोगनालय द्वारा कोरोना पीड़ित मरीज़ का इलाज करने के लिए पूर्व में हि लाखों रुपया जमा कराने के मामले सामने आ रहे हैं ग्राहक अधिनियम 1986 के तहत नियम में इलाज के पूर्व कोई राशि लेने का प्रावधान नहीं है और इसके लिए महानगर पालिका द्वारा ऑडिटर भी नियुक्त किए गए हैं

लेकिन हक़ीक़त में नज़ारा कुछ और है आरोप भी लग रहे हैं की नामचीन अस्पतालों से महानगर पालिका के अधिकारियों की साँठ गाँठ दिखाई दे रही है क्योंकि उनके द्वारा नामचीन अस्पतालों के विरुद्ध कार्रवाई की नई जा रही और वहीं दूसरी ओर रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाज़ारी बड़े अस्पतालों से ही हो रही है यह इंजेक्शन ब्लैक में साढ़े 4 हज़ार लेकर छः हज़ार रुपये तक मरीज़ों को उपलब्ध कराया जा रहा है

अभि यह सवाल उठता है की खाद्य एवं औषधि विभाग के सहायक आयुक्त इनके विरूद्ध कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं क्योंकि सरकारी दाम पर जीवन आवश्यक वस्तु वाली दवाइयों को नियमित मूल्य से ही मरीज़ों को उपलब्ध कराना है लेकिन इनके ऊपर मापदण्ड रखने वाली संस्था है जिस में प्रमुख महानगर पालिका के आयुक्त और जिलाधिकारी आते हैं और उनके द्वारा इन मामलों को नज़र अंदाज़ किया जा रहा अख़बारों में रोज़ मामले आ रहे है इसके बावजूद भी ।अधिनियम का उल्लंघन सरकारी अधिकारियों के आशीर्वाद से हि हो रहा है ।

मोहम्मद शाहिद शरीफ़
अशासकीय सदस्य जिलाधिकारी कार्यालय ग्राहक कल्याण परिषद




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