कोराडी पावर प्लांट में कोल कन्वेयर बेल्ट निर्माण कंपनी श्रमिक वेतन से वंचित - Expert News

कोराडी पावर प्लांट में कोल कन्वेयर बेल्ट निर्माण कंपनी श्रमिक वेतन से वंचित


दोषी कंपनी पर आर्थिक अपराध दर्ज करने की मांग, राष्ट्रीय मजदूर सेना ने की शिकायत


नागपुर: महानिर्मिती की कोराडी विधुत परियोजना मे कोयला आपूर्ती के लिए कोल कन्वेयर बेल्ट सिस्टम प्रकल्प का निर्माण कार्यों मे सैकडों श्रमिकों का आर्थिक शोषण कर उन्हे उनके हक और अधिकार से वंचित रखा गया है।नतीजतन अन्याय ग्रस्त ठेका श्रमिकों मे असंतोष व्याप्त है।भुग्तभोगी श्रमिकों मे व्याप्त चर्चाओं के मुताबिक यदि समय रहते संबंधित कंपनी ने अपने श्रमिकों को वेतनमान उपलव्ध नहीं करवाया तो कंपनी मजदूरों-अधिकारियों तथा महार्निमिती कोराडी पावर प्रोजेक्ट के अधिकारियों के बीच गडबड-झगडा-फसाद तथा खून-खराबा भी हो सकता है।क्योंकि श्रमिकों मे भारी असंतोष बना हुआ है।इस आशंका को लेकर महानिर्मिती के अधिकारी और कंपनी प्रबंधन सहम-सबमें नजर आ रहे है। इस प्रकरण का सनसनीखेज शिकायत राष्ट्रीय मजदूर सेना की शिकायत पर मामले का पर्दाफाश हुआ है।

कोराडी की 660 × 3 मेगावाट बिजली परियोजना मे सफलतम् विधुत उत्पादन के लिये वेकोलि कोयला खदानों से कोयला आपूर्ती के लिये रबर पाईपनुमा कन्वेयर बेल्ट स्ट्रकचर निर्माण के लिये करोडों की लागत से कोल कन्वेयर बेल्ट सिस्टम प्रकल्प का निर्माण फरवरी 2018 मे शुरु किया गया था,इस कार्य का सफलतम् निर्माण के लिये करीन एक हजार से भी अधिक श्रमिकों ने रात्र दिवस अपना खून पशीना बहाया। परंतु उन मेहनतकश श्रमिकों को भविष्य निर्वाह निधि, इ एस आई सी.न्यूनतम वेतन व अन्य भत्तों से वंचित रखा गया है।

बताया जाता है कि वेकोलि की गोंडेगांव ओपन कास्ट तथा वलनी- सिल्लेवाडा भूमिगत कोयला खदानों से कोयला आपूर्ती के लिए निर्माणणाधीन उडान कोल कन्वेयर बेल्ट सिस्टम निर्माण का ठेका हैवि इंजिनियरिंग लिमटेड कोयला दिया गया था,इस कार्य के लिए अधिकांश ठेका मजदूर पंजाब, हरियाणा, विहार, उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश, राजस्थान व उडीसा आदि राज्यों से बुलवाये गये थे। शिकायत मे बताया कि सभी श्रमिकों को प्रति महीना पूर्ण पगार न करते हुए उन्हे आधा अधूरा पगार देकर शेष पैमेट बाद मे देने का अश्वासन देकर उन्हे टलाया जाता रहा।इतना ही नहीं गत मार्च 2020 में कोरोना विषाणुओं का बढता खतरा और लाकडाऊन एवं जनता कर्फ्यू के मद्देनजर निर्माता कंपनी ने अपने श्रमिकों को आधा अधूरा पगार भुगतान करके उन्हे वापस उनके गांव भिजवा दिया गया।

सरकारी अधिसूचना का उलंघन
केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त अधिसूचना के मुताबिक 80 प्रतिशत स्थानीय श्रमिकों को स्थानीय परियोजनाओं मे नौकरी-रोजगार से जोडना चाहिए,पंरतु कन्वेयर बेल्ट सिस्टम निर्माता कंपनी ने नियम कानून को दत्ता बतलाकर इस उपक्रम में स्थानीय परिसर के 20 से 25 प्रतिशत तथा 70 से 75 प्रतिशत श्रमिक बाहरी राज्यों के निवासियों को लगाया गया है। यह जानकारी महानिर्मिती तथा सभी सरकारी यंत्रणा को भलिभांति अवगत है।परंतु अधिक मुनाफा- कमाई के लालच में कंपनी संचालक व महानिर्मिती प्रशासन की सांठ-गांठ से श्रमिक विधि को धत्ता बतलाकर मजदूरों का खुल्लम खल्ला आर्थिक शोषण किया गया है।इस संबध मे राष्ट्रीय मजदूर सेना के शाखाध्यक्ष विजय पाटील के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल द्वारा महानिर्मिती प्रशासन अधिकारी श्रमायुक्त, महानिर्मिती प्रशासन के प्रबंध संचालक तथा ऊर्जा मंत्रालय को भी ज्ञापन की प्रतियां प्रस्तुत की है.इस सबंध मे द्धार सभा तथा आंदोलन की किया जा चुका है, परंतु अधिकिरियों के कान पर जूं तक्रार नही रेंगी इतना ही नही श्रमिक हित की मांगों पर अनदेखा व अनसुना कर दिया क्योंकि माला दबाने मे भारी भ्रष्टाचार होनेवाला की आशंका से इंकार नही किया जा सकता है।

आर्थिक अपराध दर्ज की मांग
राष्ट्रीय मजदूर सेना के शाखा पदाधिकारी विजय पाटील के नेतृत्व में जल्द ही ग्रह प्रशासन के आर्थिक अपराध अन्वेषण एवं राज्य-गुप्तचर विभाग के पुलिस महानिरीक्षक तथा राज्य व केन्द्रीय श्रम मंत्रालय के अलावा सतर्कता आयोग को इतने बडे श्रमिक शोषण के मामला के खिलाफ बृह्रत प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए प्रयत्न है। उन्होने बताआया कि जरुरत पडेन पर मुंबई उच्च न्यायालय नागगपुर खंडपीठ के समक्ष जनहित याचिका रात्र की जायेगी।

क्या कहते है अधिकारी
इस सबंध में इस प्रतिनिधि ने विधुत परियोजना के मुख्य अभियंता अनिल आस्टीकर ने बताया कि हालही निर्माता कंपनी की तरफ से होली त्योहार के मद्देनजर श्रमिकों को दो महिने का पगार उपलव्ध कराया गया है। उन्होने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय मजदूर सेना की शिकायत पर निर्माता कंपनी को पत्र देकर श्रमिकों उनके हक व अधिकार दिलाने को कहा गया है उन्होने अधिनस्थ अधिक्षक नारायण राठोड को संबंधित कंपनी को लिखित सूचना देकर कार्यवाई करने को कहा है ।

उसी प्रकार निर्माता के परियोजना प्रबंधक मनीष गर्ग से जानकारी जानना चाहा तो उन्होने सभी श्रमिकों का न्यूनतम वेतन भविष्य निधि व भत्ता दिलाने की जिम्मेदारी पेटी ठेकेदार की है है यह कहकर अपना पल्लू झटक लिया।उधर राष्ट्रीय मजदूर सेना के मुताबिक सभी ठेका श्रमिकों को उनके हक व अधिकार दिलाने की जिम्मेदारी परियोजना के मुख्य मालिक महानिर्मिती प्रशासन व निर्माता कंपनी व्यवस्थापन की है।




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