कोरोना : अंतिम संस्कार को लेकर शहर-ग्रामीण में अलग-अलग व्यवस्था


– ग्रामीणों ने शहर जैसी व्यवस्था की मांग की हैं

नागपुर : कोरोना महामारी से जिनकी मृत्यु हो रही,उनके अंतिम संस्कार के लिए शहर में मृतकों के शव को श्मशान घाट तक मनपा प्रशासन पहुंचा कर दे रही,वहीं दूसरी ओर ग्रामीण इलाके में जिला प्रशासन ने ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की,नतीजा ग्रामीणों को खुद या फिर किसी के माध्यम से उनका अंतिम संस्कार करवा रहे.इससे क्षुब्ध नागरिकों ने जिलाधिकारी से मांग की हैं कि कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए नागपुर मनपा जैसा व्यवस्था नागपुर ग्रामीण क्षेत्रों में भी करें।

प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्रामीण के अस्पतालों या घर में कोरोना मरीजों की मृत्यु के बाद उनके अंतिम संस्कार करने के लिए परिजनों के हाथ-पांव फूल रहे,क्यूंकि सर्वत्र चर्चित हैं कि कोरोना मरीजों/मृतकों के संपर्क में आने से संबंधितों को कोरोना अपने गिरफ्त में ले रहा.इस डर से अधिकांश लोग भयभीत हैं और अपने मृतक परिजनों को घाट पर ले जाने और उनका अंतिम संस्कार अन्य किसी न किसी के माध्यम से करवा रहे.

जानकारी मिली हैं कि कोरोना मृतकों को घर/अस्पताल से लेकर उनका निकटवर्ती घाट पर अंतिम संस्कार करने के लिए कामठी का एक तबका सक्रिय हैं,वे प्रति मृतक 3700 रूपए लेकर इस जोखिम भरे काम को अंजाम दे रहे.

वहीं नागपुर शहर में कोरोना मृतकों को घाट तक पहुँचाने की व्यवस्था मनपा प्रशासन द्वारा किया जा रहा.

कोरोना पीड़ित परिवार को खानपान की दिक्कतें
कोरोना से भरापूरा अस्पताल और अस्पतालों में महंगे इलाज मामले में असक्षम परिवार कोरोना मरीजों को घर पर रख उनका नियमित इलाज करवा रहे.ऐसे में घर में भोजन बनाने वाला ही ग्रसित हो या अन्य कारणों से उन सभी के भोजन व्यवस्था इन दिनों अड़चन में आ गई हैं.इसका उदहारण कन्हान में देखने को मिला।कन्हान के वर्द्धराज पिल्लई दंपत्ति इनदिनों लगभग 40 परिवार को 2 वक्त का खाना निशुल्क घर पहुंचा के दे रहा,निकट के अस्पतालों से भी कोरोना मरीजों या उनके परिजनों को भोजन उपलब्ध करवाने के लिए इस दंपत्ति के पास गुजारिश की क्रम जारी हैं.

वेकोलि की जेएन अस्पताल में अव्यवस्था का आलम
कांद्री के निकट वेकोलि की जेएन अस्पताल हैं.जिसे कोरोना काल में जिला प्रशासन ने अपने अधीन में ले लिया।लेकिन जिला प्रशासन इसके संचलन में पूर्णतः असफल साबित हो रही.क्यूंकि जिला प्रशासन के पास न मनुष्यबल हैं और न ही इलाज के लिए सम्पूर्ण सामग्री।नतीजा अस्पताल के क्षमता का 25% बेड ही उपयोग में हैं.अर्थात सरकारी दावे खोखले साबित हो रहे,शहर में भी कुछ मात्रा में व्यवस्था हो पा रही लेकिन ग्रामीण इलाके में कोरोना मामले में प्रशासन पूर्णतः फेल हैं.उल्लेखनीय यह हैं कि ऐसी नाजुक सूरत में वेकोलि अपने CSR FUND का उपयोग कर महामारी में सहयोग नहीं कर रही,क्या वर्त्तमान अधिकारियों में दूरदर्शिता का आभाव हैं.




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