जिनेन्द्र भगवान का पुजारी भिखारी नहीं होता- आचार्यश्री सिद्धांतसागरजी


नागपुर : जिनेन्द्र भगवान का पुजारी भिखारी नहीं होता यह उदबोधन आचार्यश्री सिद्धांतसागरजी गुरूदेव ने श्री. दिगंबर जैन धर्मतीर्थ ट्रस्ट द्वारा आयोजित विश्व शांति वर्धमानोत्सव पर ऑनलाइन में दिया.

धार्मिक, सामाजिक कार्य से शरीर के निरोगता पर टीका हुआ हैं. जो निरोगी रहना चाहता हैं, स्वस्थ रहना चाहता हैं वह प्रतिदिन भगवान का अभिषेक करें. रोगमारी उन्हें आती हैं जो भगवान की भक्ति और साधुओं से दूर रहते हैं. पुण्य कमजोर होगा तो व्यक्ति को रोग आयेगा. जिनेन्द्र की आराधना से सारे सुख मिलते हैं. जिसकी औषध उपलब्ध ना हो उसे महामारी कहते हैं. साधुसंत की आज्ञा का पालन किया तो मुक्ति रास्ता चुन लिया. गुरुओं की कृपा हो गई तो कर्मो से मुक्ति मिलती हैं.

आचार्यश्री सुविधिसागरजी गुरुदेव मास्क लगाने से हमारी और हमारे संपर्क में आनेवाले व्यक्ति की रक्षा होती हैं. अनावश्यक जनसंपर्क से बचना चाहिये. कोरोना की चर्चा नहीं करते हुए धर्मध्यान की चर्चा करना चाहिये. बैठकर स्वाध्याय करना चाहिये. जो जहां साधु हैं उनके रत्नत्रय की रक्षा हो ऐसी भावना भाना चाहिये. साधु संतों की रक्षा करें. घर में बैठकर किसी साधु के स्वास्थ की कामना करें. जहाँ पर औषधी काम नहीं करती वहाँ सदभावना काम करती हैं.

इस अवसर पर आचार्यश्री गुप्तिनंदीजी गुरुदेव ने मार्गदर्शन किया. गणिनी आर्यिका आस्थाश्री माताजी ने संचालन किया.




Source link

Leave a Reply