नागपुर : कोरोना की रिपोर्ट नेगिटिव रहे और आपके विचार पॉजिटिव रहे. जिसका पुण्य पॉजिटिव होता हैं, उसका पाप निगेटिव होता हैं यह उदबोधन प्रज्ञायोगी दिगंबर जैनाचार्य गुप्तिनंदीजी गुरुदेव ने विश्व शांति अमृत ऋषभोत्सव के अंतर्गत श्री. धर्मराजश्री तपोभूमि दिगंबर जैन ट्रस्ट और धर्मतीर्थ विकास समिति द्वारा आयोजित ऑनलाइन धर्मसभा में दिया.
गुरुदेव ने कहा विज्ञान धोखा दे सकता हैं, भेद विज्ञान धोखा नहीं दे सकता हैं. भाई, भाई का साथ देता हैं. भाई का रिश्ता का खास होता हैं, अक्सर दिल के पास होता हैं. भाई-भाई में झगड़ा होता हैं तो महाविनाश होता हैं, भाई-भाई में दोस्ती होती हैं तो उस घर की तरक्की होती हैं. भाई के लिये परोपकार करते रहे. कोरोना आतंक बरसायेगा पर करुणा अमृत बिछायेगी. कोरोना काल हमें सावधानी बरतना हैं, दूरी बनाकर रखना हैं. आवश्यक हो तो बाहर जाये. कोरोना से बचने के लिए दवाओं से ज्यादा दुवाओं पर विश्वास करे. संकट आने से पहले सावधान हो जाये. प्रार्थना सबसे बड़ी दुवा हैं.
जीवन को आनंद से भरकर जियो- आचार्यश्री प्रमुखसागरजी
आचार्यश्री प्रमुखसागरजी गुरुदेव ने धर्मसभा में कहा जीवन में जितना अमृत भरा हैं, जितना आनंद भरा हैं, ऊंचाइयां भरी हैं कही मिलनेवाली नहीं हैं. जीवन को आनंद से भरकर जियो. विज्ञान पर भरोसा नहीं किया जा सकता हैं, भेद विज्ञान पर भरोसा किया जा सकता हैं. विज्ञान आदमी को, आदमी से जोड़ने का प्रयास करता हैं, भेद विज्ञान आत्मा और शरीर से जोडने का प्रयास करता हैं. विज्ञान सहारा लेता हैं लेकिन भेद विज्ञान के माध्यम से हम अपने आपको सुरक्षित कर रहे हैं. आचार्यश्री गुप्तिनंदीजी गुरुदेव ने सभी को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं. कोरोना महामारी से उनका बचाने का प्रयास हैं. शारीरिक उपचार तो हो जायेंगा हमें आध्यात्मिक कर्म का उपचार करना चाहिए. कोरोना ने सिखाया गर्म पानी पियो.
संपूर्णता से जियो, अपने अंदर की यात्रा कर लिया करो. हम जैनत्व स्वीकार करे, हम मानवता को स्वीकार करे. हम मंदिर नहीं जा रहे कोई बात नहीं, घर को मंदिर बनाये. घर में पूजा नहीं कर रहे कोई बात नहीं आपके आसपास कोई व्यक्ति हैं खाना नहीं खा रहा हैं. उसे खाना पहुचा दो. अभिषेक नही करे कोई बात नहीं लेकिन किसी प्यासे व्यक्ति को जल पहुँचा दो. हम जितना सेवा भाव कर सके उतना करो. इस बीमारी से निजात पाना हैं तो जिस धर्म को माननेवाले हो, जिस आत्मा को माननेवाले, जिस गुरु को माननेवाले हो भगवान से जुडने का प्रयास करे. अपने जीवन को आनंदित बनाना हैं. संपूर्णता के साथ जीने का प्रयास करे. हम जितनी सकारात्मक सोच रखोगे, उतना हमारा देवत्व जागृत होगा, जितना देवत्व जागृत होगा उतना जीवन आनंदमय होगा. किसी के बारे में एक घंटा गलत सोचे और पांच मिनट अच्छा सोचे लेकिन आपका पूरा समय अच्छा नहीं जायेगा.
दिनभर अच्छा सोचे पूरा दिन अच्छा जायेगा. अपने जीवन में पेंसिल बनकर अच्छा लिखना शुरु करो. अगर अच्छा लिखना नहीं सीखे तो जीवन में आपके रबर बनकर अपनी बुराइयां मिटाना सीखे तो जीवन में आपके बारे में कोई अच्छा लिखना शुरू करेंगा. धर्मसभा का संचालन स्वरकोकिला गणिनी आर्यिका आस्थाश्री माताजी ने किया. बुधवार 19 मई को सुबह 7:20 बजे शांतिधारा, सुबह 9 बजे महातपस्वी कुशाग्रनंदीजी गुरुदेव का उदबोधन, शाम 7:30 बजे से परमानंद यात्रा, चालीसा, भक्तामर पाठ, महाशांतिधारा का उच्चारण एवं रहस्योद्घाटन, 48 ऋद्धि-विद्या-सिध्दि, मंत्रानुष्ठान, महामृत्युंजय जाप, आरती होगी यह जानकारी धर्मतीर्थ विकास समिति के प्रवक्ता नितिन नखाते ने दी हैं.
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